टैन हटाने के घरेलू नुस्ख़े : Home Remedies To Remove Tan

टैन शब्द से आप जरूर परिचित होंगे। अक्सर किसी हिलस्टेशन घूमकर आने के बाद या धूप में ज्यादा रहने की वजह से हमारी त्वचा का रंग गहरा हो जाता है। कई बार लोग कह भी देते हैं की आप काफी टैन हो गए हैं आजकल। टैनिंग हमारी त्वचा का रंग बदल देती है, जो किसी को भी पसंद नहीं आता। आज बात करेंगे टैन की। जानेंगे इसके लक्षण, कारण और उपचार के बारे में। घरेलू नुस्खे भी सीखेंगे, जिन्हें आजमाकर आप टैनिंग को हटा सकते हैं।

टैनिंग क्या है, यह समझने के लिए आपको अपनी स्किन पर नजर डालनी होगी। शरीर के कुछ भाग जैसे चेहरा, हाथ, गर्दन वगैरह उन हिस्सों के मुकाबले ज्यादा गहरे रंग के होते हैं, जो सीधे धूप के संपर्क में नहीं आते। इसी को टैनिंग के रूप में देखा जाता है। टैनिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें सूर्य के संपर्क में आने के बाद त्वचा का रंग (मेलेनिन) बढ़ जाता है। इससे त्वचा में कालापन आ जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंंकि हमारी त्वचा धूप से बचने के लिए प्रतिक्रिया करती है। इसी की वजह से रंग गहरा हो जाता है।

इसे आप यूं भी समझ सकते हैं कि टैन एक संकेत है कि आपकी त्वचा खुद को सूरज की पराबैंगनी (यूवी) विकिरण से बचाने की कोशिश कर रही है। यह त्वचा के खराब होने का संकेत है, अच्छे स्वास्थ्य का नहीं। बहुत से लोग मानते हैं कि टैन होने से उनकी त्वचा को सनबर्न और यूवी क्षति से सुरक्षा मिलती है, जबकि हकीकत में टैन, सनबर्न के खिलाफ बहुत कम सुरक्षा प्रदान करता है। [1]

  • टैनिंग की वजह अगर सनबर्न है, तो त्वचा में जलने के दर्द का एहसास होता है और शरीर भी गर्म महसूस होने लगता है।
  • अगर सनबर्न हुआ है, तो शुरुआत में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते। सनबर्न का पूरा असर दिखने में 6 से 48 घंटे का समय लग सकता है।
  • उसके बाद ही पता चलता कि कितनी त्वचा पर असर हुआ है और प्रभावित जगह पर लाल या गहरे रंग के एक परत बन जाती है।
  • वहीं, सूर्य की रोशनी में ज्यादा देर रहने से भी त्वचा टैन यानी गहरे रंग में बदल जाती है।
  • अगर आप लगातार दो दिन सूर्य की सीधी रोशनी में देर तक वक्त गुजारते हैं, तो त्वचा गहरे रंग के टोन में बदलने लगती है।

त्वचा के टैन होने का पहला कारण है सनबर्न। जब सूर्य की यूवी किरणें आपकी त्वचा तक पहुंचती हैं, तो वे एपिडर्मिस में कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। इसकी प्रतिक्रिया में, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित क्षेत्रों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती है। बढ़े हुए रक्त प्रवाह की वजह से सनबर्न वाली जगह पर त्वचा लाल होने लगती है। त्वचा को छूने पर वहां गर्म महसूस होता है। क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाएं, केमिकल भी रिलीज करती हैं।

त्वचा टैन होने का दूसरा कारण है ज्यादा देर तक सूर्य के संपर्क में रहना, जिसे सन टैन भी कहते हैं। इसमें एक बार जब त्वचा यूवी विकिरण के संपर्क में आती है, तो त्वचा, मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ाती है, ताकि ज्यादा नुकसान नहीं हो। मेलेनिन वही रंगद्रव्य है जो आपके बालों, आंखों और त्वचा को रंग देता है। मेलेनिन में बढ़ोतरी से त्वचा का रंग अगले 48 घंटों में काला हो सकता है। [2]

त्वचा के रंग और आपकी स्किन टाइप के आधार पर कई प्रकार के टैन होते हैं।

  • इसका सबसे ज्यादा असर गेहुएं, सांवले और काली त्वचा वाले लोगों में दिखाई देता है।
  • जिनकी त्वचा एकदम पीली-सफेद है, वह सूर्य की रोशनी में आते ही जलने लगती है, लेकिन उनमें टैनिंग नहीं उभरती है।
  • सफेद और हल्की पीली त्वचा वालों पर भी बहुत कम टैन दिखाई देता है। इसके बाद पीली, गेहुएं, सांवले और काली त्वचा वाले लोगों में टैन दिखाई देता है।

टैन हटाने के कई उपचार इन दिनों इस्तेमाल किए जा रहे हैं। अगर आपकी त्वचा भी धूप में ज्यादा देर रहने की वजह से टैन हो गई है, तो आप भी अपने डॉक्टर की सलाह लेकर इनमें कोई एक उपचार आजमा सकते हैं।

एक्सफोलिएशन आपकी त्वचा की बाहरी परत से मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाने की प्रक्रिया है। लेकिन अगर इसे ठीक से नहीं किया गया तो यह नुकसान भी कर सकता है। अगर आप टैन को हटाने के लिए एक्सफोलिएट का उपचार चुनते हैं, तो इसे सुरक्षित रूप से करना महत्वपूर्ण है, ताकि यह आपकी त्वचा को नुकसान न पहुंचाए। इसके उपचार से पहले यह जानना जरूरी है कि आपकी त्वचा के हिसाब से एक्सफोलिएशन की कौन सी विधि इस्तेमाल करनी चाहिए।

घर पर एक्सफोलिएशन के लिए दो मुख्य तरीके हैं- मैकेनिकल और केमिकल। आपकी त्वचा को देखकर इनसे उपचार किया जाता है। मैकेनिकल एक्सफोलिएशन में उपकरणों, जैसे ब्रश, स्पंज या स्क्रब से मृत त्वचा कोशिकाओं को हटाया जाता है। जबकि केमिकल के उपचार में अल्फा और बीटा हाइड्रोक्सी एसिड जैसे केमिकल से मृत त्वचा को हटाकर टैनिंग को कम किया जाता है। [3]

लेजर ट्रीटमेंट में त्वचा के इलाज के लिए लेजर एनर्जी का उपयोग करते हैं। इसकी मदद से टैन के अलावा झुर्रियों का इलाज भी किया जा सकता है। यह ट्रीटमेंट रोशनी को लेजर के जरिए त्वचा के उस हिस्से पर डाला जाता है, जहां टैन कम करना हो। लेजर त्वचा की कोशिकाओं को गर्म करता है, ताकि वो फट जाएं और नई कोशिकाओं के लिए रास्ता बने और त्वचा की टैनिंग खत्म हो जाए।

क्योंकि इसमें सर्जरी शब्द जुड़ा है, तो बहुत से लोगों को लगता है कि लेजर ट्रीटमेंट में मरीज को बेहोश किया जाता है, जबकि ऐसा नहीं है। लेजर ट्रीटमेंट की सफलता काफी हद तक इस पर भी निर्भर करती है कि आपकी त्वचा कितनी क्षतिग्रस्त है। इस ट्रीटमेंट के बाद त्वचा को नमी और धूप से बचाकर रखना होता है। साथ ही डॉक्टर के बताए निर्देशों के हिसाब से स्किन की केयर की जाती है। [4]

केमिकल पील को केम एक्सफोलिएशन या डर्मापीलिंग के रूप में भी जाना जाता है। इसमें त्वचा की टैनिंग को कम करने के लिए केमिकल का उपयोग किया जाता है। इस ट्रीटमेंट में स्किन पर एक रासायनिक घोल लगाया जाता है, जिससे त्वचा की परतों पर असर होता है और वह अपनी जगह से हट जाती हैं। इसके बाद नई और जवां त्वचा सामने आती है, जो साफ, बिना झुर्रियों वाली और चिकनी होती है।

केमिकल पील का ट्रीटमेंट सभी प्रकार की त्वचा पर किया जा सकता है। हालांकि, अगर आपकी स्किन गहरे रंग की है, तो ट्रीटमेंट के बाद उसके काले पड़ने की संभावना बनी रहती है। इस स्थिति को पोस्ट-इंफ्लेमेटरी हाइपरपिग्मेंटेशन कहा जाता है। इस ट्रीटमेंट को बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं लिया जाना चाहिए। [5]

ब्लीच का मतलब ही है रंग हटाना। यह चेहरे पर मेलेनिन की मात्रा को कम करता है। लेकिन इसके नुकसान भी हैं। क्योंकि ब्लीच में केमिकल की हाई डोज इस्तेमाल होती है, इसलिए बहुत से लोगों को इसके साइड इफेक्ट भी देखने पड़ते हैं। इसके मुकाबले प्राकृतिक ब्लीच बेहतर हैं। जैसे नींबू एक प्राकृतिक ब्लीचिंग तत्व है, जो त्वचा से टैन को हटाने में कारगर है। बेसन और दूध का उपयोग भी कर सकते हैं। इनके परिणाम देर से जरूर मिलते हैं, लेकिन त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता।

माइक्रोडर्माब्रेशन एक उपचार है, जो त्वचा की सबसे बाहरी परत को हटा देता है। इसके बाद त्वचा की नई परत बनती है। माइक्रोडर्माब्रेशन आमतौर पर झुर्रियों, सूर्य की वजह से हुए नुकसान, मुंहासे के निशान आदि के इलाज के लिए कॉस्मेटिक प्रक्रिया के रूप में उपयोग किया जाता है।

इस ट्रीटमेंट में पहले त्वचा से मेकअप हटाया जाता है। इसके बाद क्रिस्टल्स को स्किन पर छिड़का जाता है। फिर वैक्यूम सक्शन की मदद से क्रिस्टल और त्वचा की मृत कोशिकाओं को स्किन से हटाया जाता है। कुछ माइक्रोडर्माब्रेशन टूल्स से त्वचा को निखारने का काम भी किया जाता है। इस ट्रीटमेंट के बाद डॉक्टर कुछ दिनों तक सनस्क्रीन लगाने और धूप से बचने की सलाह देते हैं। [6]

टैन हटाने के लिए कई घरेलू नुस्खे आजमाए जाते हैं, जो कारगर भी हैं। आज हम भी आपको ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में बता रहे हैं। इन्हें आजमाने से आपको निश्चित रूप से अच्छे रिजल्ट देखने को मिलेंगे।

गर्मियों में त्वचा की देखभाल के लिए पपीता बेहतरीन उपचार साबित हो सकता है। यह त्वचा को पोषण देने के साथ ही टैन हटाने में भी काफी कारगर है। विटामिन और फाइबर से भरपूर पपीते के इस्तेमाल से त्वचा पर आश्चर्यजनक बदलाव देखने को मिल सकता है। इसे दही के साथ मिलाकर लगाने से टैन हटाने में काफी मदद मिलती है।

  • एक छोटी कटोरी में आधा कटोरी मैश किया हुआ पपीता लें।
  • उसमें दो बड़े चम्मच दही मिलाएं।
  • इन्हें तब तक फेटेंं, जब तक स्मूद पेस्ट ना बन जाए।
  • अब इस पेस्ट को त्वचा पर लगाकर करीब 30 मिनट के लिए छोड़ दें।
  • 30 मिनट बाद जितना पेस्ट हाथों की मदद से हटा सकते हैं, हटा लें।
  • उसके बाद चेहरे को धो लें। इसे हफ्ते में दो से तीन दिन लगाया जा सकता है।

एलोवेरा का इस्तेमाल त्वचा की विभिन्न समस्याओं में किया जाता है और टैनिंग में भी यह कारगर है। इसे इस्तेमाल करना काफी आसान है।

  • एलोवेरा के प्लांट से एक छोटा टुकड़ा काट लें।
  • चम्मच की मदद से उसके अंदर का जेल निकाल लें।
  • जेल को अच्छे से मिक्स कर लें। इसके लिए मिक्सी या ब्लेंडर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • जेल को त्वचा पर लगाकर कुछ देर मसाज करें।
  • यह मसाज उंगलियों की मदद से चेहरे पर नीचे से ऊपर की ओर करें। आंखों के नीचे और माथे पर हल्के हाथ से मसाज करें।
  • उसके बाद एलोवेरा को सूखने के लिए छोड़ दें और फिर सिर्फ पानी से चेहरे को धो लें।
  • सप्ताह में दो से तीन दिन यह किया जा सकता है। टैनिंग में इसके बेहतर फायदे के लिए एलोवेरा को रात के समय लगाना चाहिए।

शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो सूरज की किरणों से त्वचा को होने वाले नुकसान को ठीक करते हैं। इसे इस्तेमाल करना भी बेहद आसान है।

  • एक चम्मच शहद को चार-पांच बूंद कच्चे दूध या पानी के साथ मिक्स कर लें।
  • इसे चेहरे पर लगाकर 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।
  • शुरुआत में इस ट्रीटमेंट को दिन में दो बार और बाद में रोज एक बार आजमा सकते हैं।
  • असर दिखे तो हफ्ते में तीन से चार बार लगाते रहें।

नींबू में प्राकृतिक सफाई और ब्लीचिंग के गुण होते हैं, जो मृत और क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं को हटाने में मदद करते हैं। नींबू के रस में मौजूद साइट्रिक एसिड टैनिंग के कारण त्वचा पर मौजूद मृत कोशिकाओं को तोड़ता है और चमकदार त्वचा को उभरने में मदद करता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा में निखार भी आता है। यह त्वचा को और मॉइस्चराइज करता है और उसे हाइड्रेट भी रखता है।

  • नींबू के रस को कॉटन की मदद से चेहरे पर लगाया जाता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में इसे शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसके लिए एक चम्मच शहद में पांच से सात बूंद नींबू का रस मिलाएं और चेहरे पर लगाकर करीब 20 मिनट के लिए छोड़ दें।
  • फिर चेहरा धो लें। इस उपचार को हर दूसरे दिन इस्तेमाल किया जा सकता है।

ब्लैक टी कैफीन और एंटीऑक्सीडेंट के लिए जानी जाती है। यह जितनी शरीर के लिए फायदेमंद है, उतनी ही फायदेमंद हमारी त्वचा के लिए भी है। इसके इस्तेमाल से त्वचा को निखारा जा सकता है और इस्तेमाल करना भी काफी आसान है।

  • आप इसका स्प्रे बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • इसके लिए 3 कप पानी को उबाल लें और उसमें 8 से 10 ब्लैक टी बैग को डालकर तब तक रहने दें, जब तक ब्लैक टी अपना पूरा रंग ना छोड़ दें।
  • इस प्रक्रिया में करीब 40 मिनट लग सकते हैं।
  • अब पानी को छान लें और एक स्प्रे बॉटल में भरकर फ्रिज में स्टोर कर दें।
  • इस स्प्रे को चेहरे पर मारें और सूखने दें।
  • एक हफ्ते इस्तेमाल करने के बाद आपको नतीजे दिखने लगेंगे।

सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट किरणें टैन की प्रमुख वजह हैं। इसलिए टैन को रोकने का कारगर तरीका है कि हम धूप से बचें। अगर घर से बाहर निकलना है तो इन बातों का खयाल रखना चाहिए।

  • सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें और इसे एक आदत बना लें।
  • सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक की धूप से बचें।
  • ऐसे कपड़े पहनें, जिनसे शरीर काफी हद तक ढका रहे।
  • धूप का चश्मा पहनें, जो अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचाते हैं। [7]

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल – Frequently Asked Questions

कॉफी त्वचा के लिए एक बेहतरीन एक्सफोलिएटर है, जो मृत त्वचा को हटाने में मदद करती है और उसे प्राकृतिक हाइड्रेशन देती है। त्वचा की देखभाल के लिए कॉफी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा सकता है। स्क्रब से लेकर फेस पैक और मास्क के रूप में इसे लगाया जाता है। कॉफी को नींबू, शहद, दही और ऑलिव ऑयल के साथ अलग-अलग रूप में मिलाकर तैयार किया जाता है। इसकी मदद से त्वचा में निखार आता है और टैन हटाने में मदद मिलती है।

पहली और पुख्ता बात यह है कि टैन स्थायी नहीं है, इसलिए चेहरे क्या, शरीर के किसी भी भाग से टैन को हटाया जा सकता है। दरअसल, त्वचा स्वाभाविक रूप से खुद को एक्सफोलिएट करती है। इससे टैन्ड त्वचा फटने लगती है। आजकल तमाम तरह के डॉक्टरी उपचार और प्राकृतिक उपचार उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से चेहरे से टैन को आसानी से खत्म किया जा सकता है। त्वचा के हिसाब से इसका तरीका अलग हो सकता है, इसलिए अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें। [8]

नींबू में प्राकृतिक सफाई और ब्लीचिंग के गुण होते हैं, जो मृत और क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं को हटाने में मदद करते हैं। नींबू के रस में मौजूद साइट्रिक एसिड टैनिंग के कारण त्वचा पर मौजूद मृत कोशिकाओं को तोड़ता है और चमकदार त्वचा को उभरने में मदद करता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा में निखार भी आता है। यह त्वचा को और मॉइस्चराइज करता है और उसे हाइड्रेट भी रखता है। इसलिए नींबू निश्चित रूप से टैन्ड त्वचा के लिए बेहतरीन है और इसके इस्तेमाल के परिणाम जल्दी दिखाई देते हैं।

टैनिंग एक प्रक्रिया है, जो धूप के संपर्क में आने की वजह से हमारी त्वचा के साथ होती है, लेकिन यह स्थायी नहीं है। त्वचा से टैन को हटाया जा सकता है और यह काफी आसान भी है। डॉक्टरी उपचार लेने से पहले प्राकृतिक उपचार आजमाए जाने चाहिए। कई बार इन्हीं उपचारों की मदद से टैन हट जाता है। ये उपचार ना सिर्फ टैन हटाते हैं, बल्कि हमारी त्वचा को पोषण भी देते हैं।

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